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Goldi Mishra

Drama Romance Tragedy

4  

Goldi Mishra

Drama Romance Tragedy

झुमका

झुमका

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डाकिया ले जा ये बेनाम खत,

मेरे हिस्से कर दे तेरी ये रहमत,।।

शहर भी लापता है,

गली भी गुमनाम है,

इस शोर से कहीं दूर है,

बे सुध ये मन थोड़ा मजबूर हैं,

वहीं कहीं खोई थी झांझर मेरी,

उन्हीं गलियों में भूल आई थी सिर की चुनरी कहीं,

लब पर जो ना आ सका वो सब लिख दिया है,

इस खत में मैने हर लफ़्ज़ लिख दिया है,

ज़मीन क्या लिखती अगर खत उस आसमां के नाम लिखती,

वो भी झुलसती आस और लंबा इंतज़ार ही लिखती,

वो लिखती दूरी क्या है,

ये सांझ का ढलना और रात का आहिस्ता गुज़रना क्या है,

निहारा है जमीं ने क्षितिज की ओर भी,

करता है चुप चाप सवाल वो आसमां भी,

जो लिखती भी वो खत,

तो आखिर किस ठिकाने पहुंचता वो खत,

असमान पर ना दरवाज़ा ना दस्तक है कोई,

ज़मीन और उस आसमां को कहां जोड़ती है सरहद कोई,

डाकिया तू जा लेकर ये संदेश मेरे,

वापसी में ले आना जो खोए राग रंग मेरे मिले,

कोई शिकायत ना होगी अगर जवाब ना आया,

कोई नाराज़गी ना होगी जो डाकिया लौट कर ना आया



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