फिर धकेला जाता है जीव जीने के लिए यहां से वहाँ दो दरवाजे पर। फिर धकेला जाता है जीव जीने के लिए यहां से वहाँ दो दरवाजे पर।
बंद करके दरवाजे यूँ अपने अतीत के, तुम मेरी यादों का आना जाना रोक नहीं सकती... बंद करके दरवाजे यूँ अपने अतीत के, तुम मेरी यादों का आना जाना रोक नहीं सक...
एक खत ! जिसे कभी समझाया नहीं मैंने। एक खत ! जिसे कभी समझाया नहीं मैंने।
कहते ये समय भी गुज़र जाएगा पर हम जानते हैं इसका फल भी आएगा सुनती अचंभित खड़ी मैं उनकी बात बात में... कहते ये समय भी गुज़र जाएगा पर हम जानते हैं इसका फल भी आएगा सुनती अचंभित खड़ी म...
कुछ तलाशता हुआ, उसका हाथ उठ रहा था मुझे देख कर.... कुछ तलाशता हुआ, उसका हाथ उठ रहा था मुझे देख कर....
क्यूँकि इस दौर का चलन ही कुछ और है। क्यूँकि इस दौर का चलन ही कुछ और है।