STORYMIRROR

मेरे पथ रक्षक

मेरे पथ रक्षक

1 min
1.5K


सब पा चुके इस उम्र में वो

हमें निहारते कुछ देने को

देखते बड़ी उत्साह से आगे

ना कोई हाथ आया माँगने को।

करते उर्जा का संचार फिर वे

अपनी छवि हममें बना कर

चाहते सब ज्ञान भर कर

हमें बना दे दिनकर।

कहते सब नहीं तो कुछ जुटा कर

आगे बढ़ो सब पा लेने को

सब पा चुके इस उम्र में वो

हमें निहारते कुछ देने को।  


कहते सत्य परेशान भले हो

पराजित नहीं हो सकता वो।

अपना ऐसा अस्तित्व गढो़

जो कभी ना धूमिल हो।।

कभी सहमा देख हमें

कहते कदम बढा़ने को

कहते खडे़ हैं संग तुम्हारे 

जीवन को स्वर्ग बनाने को

बनाने तुम्हारे चरित्र को स्वर्ण

तुममे अनल सा तेज जगाने को 

सब पा चुके इस उम्र में वो

हमें निहारते कुछ देने को।


सिर्फ पुस्तक का ज्ञान नहीं

देते सीख जीवन का वो

खिलखिला दे बारिश सा कभी

अपनी मृदुहासित बातों से

कड़ी धूप सी घबराहट हो

जब उनके प्रश्न बाण पड़े।

ठंड सा कोमल है उनका ज्ञान देना

और बढ़ाना पथ पर आगे

अपना लक्ष्य पाने को

सब पा चुके इस उम्र में वो।

हमें निहारते कुछ देने को


तपे पके मेहनत में वो

विह्वल से हो जाते हैं

जब निश्चिंत भविष्य से अपने

हमें देख रह जाते हैं।

कहते दरवाजा खुला हुआ है

थोड़ी मेहनत तो कर लो

सब पा चुके इस उम्र में वो

हमें निहारते कुछ देने को।


हर मुश्किल में हॉंथ थामें

माथे को सहला धैर्य दिलाते वो

सोचती, ये समय भी गुज़र जाएगा

पर मैं जानती हूं इसका फल भी आएगा

सुनती अचंभित खड़ी कभी मैं

उनकी बात बात में बातों को

सब पा चुके इस उम्र में वो

हमें निहारते कुछ देने को।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational