निशान
निशान
बंद करके दरवाजे
यूँ अपने अतीत के,
तुम मेरी यादों का
आना जाना
रोक नहीं सकती...
आज भले ही वक्त न दो
तुम मुझे मिलने का,
तुम्हारे गुजरे हुए कल पे
जो है मेरा निशान
वो चाहके भी
तुम मिटा नहीं सकती...
बंद करके दरवाजे
यूँ अपने अतीत के,
तुम मेरी यादों का
आना जाना
रोक नहीं सकती...
आज भले ही वक्त न दो
तुम मुझे मिलने का,
तुम्हारे गुजरे हुए कल पे
जो है मेरा निशान
वो चाहके भी
तुम मिटा नहीं सकती...