Aashish Deshpande
Tragedy
मुझे यकीन है
तुझे बक्शी
जायेगी न जन्नत।
खुदा पुछेगा जरूर...
किस बेचारे का
दिल तोड़ा था ?
तूफान
लफ्ज़
ताज
मेरा पता
चाहत
यकीन
होली
नसीब
आग
रूह
बन के नासूर रिसते है जो दिल के ज़ख्म वो यारा, मोहब्बत की निशानी हैं इन्हें कुछ और सहने दे। बन के नासूर रिसते है जो दिल के ज़ख्म वो यारा, मोहब्बत की निशानी हैं इन्हें कु...
चलो अब जुदा जुदा हो जाये हम दोनों और एक दूजे को भुला दे हमेशा के लिए। चलो अब जुदा जुदा हो जाये हम दोनों और एक दूजे को भुला दे हमेशा के लिए।
फिर से जियेंगे उस मौत को, जिसे लोग ज़िंदगी कहते हैं ! फिर से जियेंगे उस मौत को, जिसे लोग ज़िंदगी कहते हैं !
भविष्य से लड़ा जा सकता है एक होकर। भविष्य से लड़ा जा सकता है एक होकर।
घर पहुँचने की हड़बड़ी हो जाती है जाने कब कहाँ गड़बड़ हो जाए घर पहुँचने की हड़बड़ी हो जाती है जाने कब कहाँ गड़बड़ हो जाए
बंद थे दरवाजे दिलों पर ताले थे। बंद थे दरवाजे दिलों पर ताले थे।
बिन जख्मों के चुभन सी है जानों जिगर में मन घबराया हुआ सा आंखें कतराई सी हैं। बिन जख्मों के चुभन सी है जानों जिगर में मन घबराया हुआ सा आंखें कतराई सी हैं।
यहाँ जुर्म करने वालों पे तो किसका कोई पहरा भी नहीं। यहाँ जुर्म करने वालों पे तो किसका कोई पहरा भी नहीं।
अमीरों के घर को मजबूती देती, ऐसी बनाती दीवारें ये... अमीरों के घर को मजबूती देती, ऐसी बनाती दीवारें ये...
जिस्म-फरोशी रूह की अब करता है इंसान... जिस्म-फरोशी रूह की अब करता है इंसान...
टूटे सपने बिखरते मोती, ये साथ नहीं अपराध है, जिसे माना मैंने देवता, वो जानवर से भी बदतर है। टूटे सपने बिखरते मोती, ये साथ नहीं अपराध है, जिसे माना मैंने देवता, वो ...
पर मतलब तुम्हारे बोलने का तब भी नहीं होगा, पर मतलब तुम्हारे बोलने का तब भी नहीं होगा,
न जाने क्या देगा सन्देश, दौड़कर मानवता का दूत ? ध्वंस की है जारी करतूत। न जाने क्या देगा सन्देश, दौड़कर मानवता का दूत ? ध्वंस की है जारी करतू...
आब का ना होगा जब नामो निशाँ... आब का ना होगा जब नामो निशाँ...
ये कितना बदल गया इंसान क्या सोच बनाया था भगवान और क्या से क्या बन गया ये इंसान। ये कितना बदल गया इंसान क्या सोच बनाया था भगवान और क्या से क्या बन गया ये इ...
खाकी खुद शर्मिंदा है----------------। खाकी खुद शर्मिंदा है----------------।
दो हो या साठ साल की यहाँ बेटी कहाँ सुरक्षित है, दो हो या साठ साल की यहाँ बेटी कहाँ सुरक्षित है,
तेरे कष्टों की गाथा मनुज भूल रहा है इसीलिए कवि असली नायक ढूंढ रहा है। तेरे कष्टों की गाथा मनुज भूल रहा है इसीलिए कवि असली नायक ढूंढ रहा है।
ना देख पायी, बाबा के हाथ के घाव ना देख पायी, बाबा का त्याग। ना देख पायी, बाबा के हाथ के घाव ना देख पायी, बाबा का त्याग।
निकाल दिया उसी दिल से, जिस दिल में तुझे उतारा था। निकाल दिया उसी दिल से, जिस दिल में तुझे उतारा था।