क्या ये प्यार है ...
क्या ये प्यार है ...
उसे देखा था ....
अनजान लोगों से भरे
बड़े से पार्टी हॉल में।
एक अनजान चेहरा था
अनजान लोगों के बीच।
पर हॉल के दूसरे कोने में खड़े
उस शख्स की आँखों में
जाने क्या था,
कि लगा मैं उसकी तरफ
खिंचती ही जा रही थी,
बिना हिले अपनी जगह से।
पर तभी वो तंद्रा टूटी
जब किसी ने उसके कन्धे पर हाथ रखा
मुड़ कर उसने पीछे देखा...
और इधर मैंने अपना क्लच उठाया,
बिना किसी से कुछ भी कहे
पार्टी से बाहर आ गई,
खुद को बहुत सम्भालती हुई।
बाहर आ कर मुड़ मुड़ कर देखा
चाहती थी वो आ जाये,
उम्मीद थी वो नहीं आएगा।
तभी मेरी केब आ गई,
बस लास्ट चांस
मुड़कर देखा
दरवाजे पर ही था वो,
कुछ तलाशता हुआ,
उसका हाथ उठ रहा था
मुझे देख कर....
मुझे रोकने के लिए ..शायद
पर तब तक केब का दरवाज़ा खोला
और मैं बैठ गयी।।
फिर कभी नहीं देखा उसे
पर
उसकी याद क्यों नहीं जाती ?
जो बस एक स्ट्रेंजर था,
इन ए रूम फुल ऑफ स्ट्रेंजरस्.....

