कितना कठिन था राम होना
कितना कठिन था राम होना


ओह राम !!
कितना कठिन रहा होगा ... राम होना !!
जब बचपन में भेज दिया गया विश्वामित्र के
साथ जंगल में, उनके यज्ञ की रक्षा हेतु,
क्या कठिन था आज्ञाकारी पुत्र बनना ??
जब वनवास की सूचना दी गई तो शायद
आसान रहा होगा कैकयी की बात मान लेना ,
पर कौशल्या के आँसूओं को अनदेखा करना
क्या कठिन था एक आदर्श पुत्र बनना ??
जब सीता हरण हो गया समुद्र से रास्ता
मांगने को विनती कर रहे थे, उसे राह पर
लाने को,
जानते हुए भी कि तुम सक्षम थे ..
क्या कठिन था असमर्थ से प्रार्थना करना ??
जब मार दिया रावण को,
तब सीता को कहा अग्नि परीक्षा को
तुम जानते थे और वह जानती थी,
अग्नि में सिर्फ उसकी छाया जानी थी और
स्वयं सीता को बाहर आना था
क्या कठिन था लोगों की नज़रें झेलना ??
फिर धोबी की बात सुनकर सारी
रात ना सोए होंगे,
आज मुझ तक आई है ये बात कल सिया
तक जाएगी,
आज एक मुंह बोला कल सौ लोग कहेंगे,
क्या कठिन था उसे इन लांछनों से बचाने को
जंगल भेजना ??
ओह राम !! नमन है तुम को।
बहुत कठिन रहा होगा मर्यादा पुरुषोत्तम बनना ।