डायरी के पन्ने
डायरी के पन्ने


डायरी के पन्नों में सिमटे कुछ गुलाब के फूल,
याद दिलाते हैं मुझे बरसों पुरानी की जो भूल।
तेरे वादे , वो इरादे, साथ जीने मरने की वो कसमें,
रूठी किस्मत, छूटा साथ, कुछ भी न रहा मुझमें।
घंटों तक यूँ बातें करना, इतराना और शर्माना,
देख के तुमको दिल का धड़कना, घबराना, मचलना।
बातें हैं बीते लम्हों की, जो आज भी दस्तक देती हैं,
न चाहूँ फिर भी आँखों में आँसू को ले आती है।
समझ न पाया हुआ क्या, क्यों तुमसे दिल को लगाया,
अनजाने में ही तुम्हारी आँखों ने दिल में घर बसाया।
किस बात की दी सज़ा मुझे? प्यार तो था तुमको भी,
या खेल रही थी मेरे दिल से जान बूझ के तुम भी।
आज भी मैं दुख में हूँ, पछता रहा हो के तुमसे दूर,
कभी तो आओगे सामने भूल के मेरी भूल।