मौसम की पुकार
मौसम की पुकार
यह मौसम को ऐसे ही रहने दो
इसमें कोई याद आता है
आज भी तुम्हारी यादों में
तुम्हारी इलायची वाली चाय बनाता है
चाय पी के तुम बोलते
क्या जिंदगी भर बना पाओगे
ऐसे ही सच्ची मुस्कान
मेरे चेहरे पर ला पाओगे
डरता था मन मेरा क्या वादे मैं निभा पाऊंगा
पता था मुझे एक दिन काफी दूर चले जाऊंगा
पता था मुझे दिल का रुठा
आवाज नहीं आया, मगर दिल हमारा भी बहुत टूटा
कुछ तो मजबूरियां हमारी भी होंगी
नहींं तो आपके इश्क में, कविताएं नहीं लिखी होती
आज भी तुम्हारा दिल मेरे लिए दुआ मांगता है
मौसम ने बताया मुझे, यह बेईमान मौसम सब जानता है