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Pratik Tarsekar

Abstract Inspirational Others

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Pratik Tarsekar

Abstract Inspirational Others

नशा...

नशा...

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मिलता था सुकून कभी नशा करके,

आज उससे नफरत हो गई है l

पल दो पल का सुख है,

बाकी तो शरीर से बेवफाई है ll


कभी किताबों का नशा करके देखो,

इंसानियत भ्रष्ट नहीं होती l

देती सदा सद-ज्ञान,

पलट के कुछ नहीं मांगती ll


पता है कुछ लोग पढ़कर जरूर हंसेंगे l

समय चक्र में पहले वे ही फंसेंगे ll

जिंदगी एक मौका देती,

यह सारा जमाना बता रहा है l    

समझ जाओ अब तो,

यह एक नशेबाज जता रहा है ll

                         



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