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Pratik Tarsekar

Abstract

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Pratik Tarsekar

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पहचान साथियों की

पहचान साथियों की

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जिंदगी एक सफर नहीं, यह तो वह रास्ता है।

सोचो यह कहाँ खाना और कहां नाश्ता है।।

नाश्ता मिले तो समझो परायापन।

खाना मिले तो अपनों का अपनापन।।

नाश्ता तुम्हारी कभी भूख ना मिटाएं।

कम हो या ज्यादा खाना खाने पर संतुष्टि पाए।।

चंद मेहनत से आत्मा नहीं फटती,

नाश्ते पर सारी जिंदगी नहीं कटती।।

जीवन के राह पर कई घर पाओगे।

आखिर खाना पाने वापस घर ही आओगे।।


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