STORYMIRROR

Seema(Simi) Chawla

Abstract Drama Tragedy

4.3  

Seema(Simi) Chawla

Abstract Drama Tragedy

ठेस

ठेस

1 min
242


एक बात आयी है ज़हन में 

यह क्या हो गया एक पल में 

जो दोस्त मिलते थे हंसते हंसते 

वो मिलने लगे है उखड़े उखड़े


यह क्यूँ हुआ कब हुआ इसका पता नहीं है दिल को 

पर इतना ज़रूर पता है कि

उनके बिना हमारा कोई ठिकाना नहीं 


यह क्यूँ हुआ कब हुआ पता नहीं दिल को 

मगर ऐ दोस्तों यह ज़िंदगी जैसे एक मोड़ पे

आकर रुक गयी है


यही से मुझे रोक लो

बह ना जाओं हवा बन कर 

फिर यादों में आना है 

इस जिस्म को मिट्टी में मिल जाना है 

अलविदा ए मेरे दोस्तों।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract