Love of Mother...
Love of Mother...
मां
इस किरदार की क्या तारीफ करूं मैं
चंदा अल्फाजों में इसे बयां करना लगभग नामुमकिन है....
जब उसके बदन की सारी हड्डियां एक साथ चटकी तब मैं आई...
मेरे इंतजार में आंखें सिर्फ उसकी खुली थी
बाकी दुनिया ने सिर्फ दर्द की बारात दी थी।।
सिर्फ उसने समझा कि कुदरत की देन है यह
इसमें कैसा लड़का लड़की का भेद।।
मेरे रास्ते का एक काटा
उसके पांव का दिल चीर देता।।
रक्त की दो बूंदें गिरती
मानो उसके दुनिया डूब जाती।।
थक जाते थे नयन, थक जाते थे तन मन
पर मेरे हिस्से में उसने कोई शाम सुहानी लिखना ना भूली।।
निरंतर भूख से चिपक रहे थे गाल, वह बन गई थी कंकाल
पर फिर भी उसको थी चिंता मेरे सुंदर काया की।।
अस्तित्व में मैं हूं आज सिर्फ उसके कारण
हजारों हाथ मृत्यु को अपना ग्रास बनाते हैं
पर जन्म का रास्ता सिर्फ मां से होकर गुजरता है...