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Anushree Goswami

Drama

5.0  

Anushree Goswami

Drama

चलो ! कहीं और चलते हैं

चलो ! कहीं और चलते हैं

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ये कैसी अँधों की बस्ती है,

यहाँ जीवन नहीं मौत मिलती है,

अब यहाँ जीना मुश्किल है,

चलो ! कहीं और चलते हैं।


चलो चलें किसी ऐसी राह पर,

जहाँ न हो अँधों का बसेरा,

जहाँ रहते हों सिर्फ इंसान,

न हो वहाँ इंसान रुपी, बहरूपियों का डेरा।


आखिर कब तक रह पाएँगे इस नरक में,

कभी न कभी तो निकलना ही होगा,

कब तक यूहीं उदास बैठेंगे,

रह रहकर ज़ुल्मों को सहना होगा।


सहना था जितना सह लिए,

नहीं सहेंगे और ज़ुर्म,

कहने को तो है ये देवताओं की धरती,

पर रहता है यहाँ शैतानों का झुण्ड।


वादा है कभी वापस लौटकर नहीं आएँगे,

चले जाएँगे इस नरक से कहीं दूर,

रोकना हो जितना रोक लेना,

माफ़ कर देना समझ कर एक भूल।


राहों में सिर्फ काटे ही हैं,

पर जाना भी जरुरी है,

अब यहाँ जीना मुश्किल है,

चलो ! कहीं और चलते हैं।।




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