ऐसा ही जीवन होता है हंस कर सब सहना होता है
ऐसा ही जीवन होता है हंस कर सब सहना होता है
लोहा रूप बदलता है पत्थर में मूरत गड़ने को
किरदार निखरता है संघर्ष की तपती भट्टी में
कठिन समय अंतर मन में द्वंद का मेला है
बेमन भी रहना होता है मुस्कुराकर सहना होता है
कोई पूछे कैसे हो तो हंस कर कहना पड़ता है अच्छा हूं ......
मेहनत भी खोया पाया का खेल खेला करता है
बादल की बद्री भी सूरज पर छाया करती है
है माना कि यह है मुश्किल भारी लेकिन यहीं तैयारी है
जो घावों से सजते हैं वही योद्धा कहलाते हैं
कहने दो जिसको जो कहना है, सुनना तुम्हारा काम नही।। कर्म जिनका शस्त्र बन चुका, उन्हें चाहिए किसी का एहसान नहीं।
कब ऐसा होता है कि जो चाहा वैसा मिलता है
ऐसा ही जीवन होता है हंस कर सब सहना होता है