धैर्य
धैर्य
नई सुबह की प्रथम सूरज है
अंधेरों के सलाखों में मन तेरा घबराएगा
साहस हाथ छुड़ाएगा
भीतर कहीं सपनों की भट्टियाँ सुलगाएगा
चिंता तुम्हें खाक बनाएगी
यही समय है धीरज बनाए रखना
नया सूरज आने वाला है !!!
सारी हिम्मत सारा स्वप्न बिखरता हुआ नजर आएगा
पहली बार समय से परे जीवन नजर आएगा
मुश्किल होगी सहने में सांस उलझते जाएगा
यही समय है धीरज धरना
तू कुंदन बनने वाला है !!
अंतर मन में उठा द्वंद्व, रहा कोई दिखलाएगा
सारी दुनिया आगे होगी, तू खुद को पीछे पाएगा
एक दृश्य ऐसा भी सम्मुख तेरे आएगा
यही समय है धीरज बनाए रखना
समय बदलने वाला है।।
नहीं कोसना किस्मत को, खुद को ,भाग्य को, दुनिया को
बस सब्र तू कर लेना समय तेरा भी आएगा
जैसा भी हो धीरज धरना
सब जोड़कर मिलने वाला है!!!