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Phool Singh

Drama Inspirational

4  

Phool Singh

Drama Inspirational

कुंभकर्ण-एक आज्ञाकारी भाई

कुंभकर्ण-एक आज्ञाकारी भाई

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दशानन का छोटा भाई एक

कुंभकर्ण कहलाया

रावण जैसा ज्ञानी-ध्यानी

जिसके सच ने सदा उलझाया।।


कोई कहता वैज्ञानिक उसको 

किसी ने सोता पाया

छः महीने के अंतर में दिखता हमेशा

जो बिन गलती के प्राण गंवाया।।


संवाद करता अग्रज रावण से 

उसे श्राप इक्ष्वाकु नृप का याद दिलाया

ब्रह्मजी की भविष्यवाणी बताई

श्राप सती नारी का जहन में लाया।।


जानकी लौटाने की प्रार्थना करता

श्री राम का भेद बताया

लक्ष्मण बने है शेषनाग जी

स्वयं विष्णु ही नर रूप में आया।।


उससे न कभी जीत पाओगे

जिसने जगत बनाया

कण-कण में जो बसा है भाई 

किसी ने उसका पार न पाया।।


सीता नहीं कोई साधारण स्त्री

उसका लक्ष्मी रूप बताया

रावण तुम मेरे बड़े भाई हो 

बस एक बार तुमको है समझाया।।


क्या आदेश है मेरे लिए अब

मैंने चरणों में शीश झुकाया 

जब तक तेरा छोटा भाई जीवित है

क्यूं तुमने कष्ट उठाया।।


भाई कहलाने का हक उसी को

जिसने सदा बड़े भाई का मान बढ़ाया

हर धर्म-कर्म में साथ खड़ा हो

चाहे अग्रज अधर्म की राह अपनाया।।


विभीषण को भी फटकार लगाता

सब जो शत्रु को राज बताया

झूठी भक्ति का दामन ओढ़कर

पूरे वंश का नाश कराया।।


चाहता तो वो फिर सो जाता

पर ऐसे विचार न मन में लाया 

मरना जरूर है रण में जाकर 

था रावण को बतलाया।।


राक्षस कहती उसको दुनिया

जो अपना धर्म निभाया 

क्षण भर के लिए ही नींद से जागा

जो अग्रज की रक्षा में निसंकोचता से प्राण गंवाया ।।


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