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Anita Sharma

Abstract Drama

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Anita Sharma

Abstract Drama

अनिश्चितता

अनिश्चितता

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कुछ विराम लगा दिए गए,

कुछ विराम स्वयं लग गए,

पूर्वाग्रही हो चला मानुष,

अनिश्चितता भरी है अंतस में,

ये छल...पूर्व नियोजित है

या ये क्रम सुनियोजित है 


संवेदना है क्यों उन युगलों से

जिन्होंने जन्म जन्मांतर के

वादों में कसमें उठा ली हैं

साथ...जीने मरने की!

क्या! पारदर्शी रहा होगा प्रेम,


वैसे जीवन और मृत्यु तय है

संग हो या संग ना हो,

कोई साथ जाता भी नहीं

जाता है तो भावपूर्ण छल!

जो किया जाता है…

जीवनपर्यन्त एक दूसरे से,


प्रेम गहन है...तो मजबूरी में

प्रेम विरल है...तो मगरूरी में

वरन एक चलन बन पड़ा है,

अंजाने में ही सही……….

प्रेम की लगन लग जाना…!


प्रेम का हो जाना…

क्या प्रेमवश ही होता है,

या वरदान प्राप्त है

ऐसे प्रेमी युगलों को,

अमर हो जाने का…

विरह की ऊष्मा में बस,

ताउम्र जलने का…


फिर विवाद क्यों है,

छल कहां छुपा है…

और क्यों...निस्वार्थ

प्रेम करना निरर्थक है…!



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