माँ बनाती थी मेरे मनपसंद खाना माँ बनाती थी मेरे मनपसंद खाना
निस्वार्थ भाव तुमसे लें, तुम को दें अपना दुलार। निस्वार्थ भाव तुमसे लें, तुम को दें अपना दुलार।
जो कहता नहीं फिरता हर दुख दुनिया से, बस अँधेरे में अपनी पलकें भिगो लेता है। जो कहता नहीं फिरता हर दुख दुनिया से, बस अँधेरे में अपनी पलकें भिगो लेता है।
अपने आस-पास तेरी नज़दीकियों की तरह। अपने आस-पास तेरी नज़दीकियों की तरह।
प्रेम के बोल पर हम , ठगे जा रहे हैं , बिना सोचते समझते , चले जा रहे हैं। प्रेम के बोल पर हम , ठगे जा रहे हैं , बिना सोचते समझते , चले जा रहे हैं...
कभी कोई आपका परिचित मिल जाए तो आप की सच्चाई और काबिलियत के किस्से उसे बताएं कभी कोई आपका परिचित मिल जाए तो आप की सच्चाई और काबिलियत के किस्से उसे बताएं