STORYMIRROR

Preeti Goyal

Abstract

4  

Preeti Goyal

Abstract

जुदाई

जुदाई

1 min
410

ग़म बहुत है दुनिया मे 

पर सबसे जुदा जुदाई का ग़म 

सब दर्द सहे जाते है

पर ना सहा जाता है जुदाई का ग़म 


याद तुझे करके रोता है दिल 

होती है आंखे बार-बार ही नम

करके देखे मैंने इलाज कई ही 

पर ये है लाइलाज ना होता कम


इस मर्ज का इलाज ना कहीं और 

बस मरहम है एक तेरे पास ही सनम 

लौटकर तू आजा एक बार सही 

ग़म-ए-जुदाई अब कर दे तू ख़त्म।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract