कह रही है इक वीरांगना,
कह रही है इक वीरांगना,
देश में खुशियां हो कोई न दंगा मिले,
प्रेम स्वागत को घर घर पतंगा मिले।
जान जाए चली देश तेरे लिये,
मरने के बाद भी बस तिरंगा मिले
कह रही है इक वीरांगना,
मुझसे मेरी भू मत माँगना।
क्रोध से भरी रक्त से सनी,
वीरता की प्रतिमूर्ति खड़ी।
राष्ट्र और प्रजा सुरक्षित हो,
बस यहीं है उसकी कामना।
कह रही है इक वीरांगना,
मुझसे मेरी भू मत माँगना।
मृत्यु तांडव मचा रही हैं,
थोड़ा रुक जा मना रही है।
उसने उसको रोक रखी है
है मेरा स्वाभिमान प्रबल,
भारत की करूँगी स्थापना।
कह रही है इक वीरांगना,
मुझसे मेरी भू मत माँगना।
देह में शेष है रक्त जब तक,
मैं झुकाऊँगी नही मस्तक।
तलबार भले छलनी कर दे,
पर डटकर करूँगी सामना।
कह रही है इक वीरांगना,
मुझसे मेरी भू मत माँगना।