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Kavi Hariom Mahore

Others

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Kavi Hariom Mahore

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देह आत्मा के लिए, रोज ही प्रतिक्षा करें।

देह आत्मा के लिए, रोज ही प्रतिक्षा करें।

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घाव जो हमें थे मिले, 

आज सब हुए हैं हरे।

देह आत्मा के लिए, 

रोज है प्रतीक्षा करें।

रोज ही प्रतीक्षा करें।


एक भावना के तले, 

एक भावना से चले। 

दो हृदय हो साथ में, 

प्रेम के स्वप्न है पले। 

प्रेम मोड़ पर ही रुके, 

भाव की समीक्षा करें।

रोग धन का ऐसा लगा, 

छूट घर गया धन मिला।

चाह नींद में भी उसे, 

और दी जवानी बिता।

था समय निकट तो सभी, 

छोड़ कर गए दे दगा।

कामना यही है मेरी, 

बस भला सुदीक्षा करें।


देह एक गठरी बंधा, 

और छोड़कर सब चला।

आत्मा निकलकर हँसी, 

देह छोड़ कर के चली, 

रह गया रखा का रखा।

देख आज भगवान भी, 

देह की परीक्षा करें।



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