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pooja bharadawaj

Abstract Inspirational

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pooja bharadawaj

Abstract Inspirational

ए जिंदगी

ए जिंदगी

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मुंडेर पर खड़ी देखती रही

रेत सी फिसलती जिंदगी

लम्हा लम्हा वो हर पल हाथ

से छूट रही यूं जिंदगी


कोई तो हो चमत्कार

जो थाम लूं मैं अपनी जिंदगी

नहीं जाने दे सकती 

अपने ही सामने यूं बेशकीमती जिंदगी


कोई पूजा पाठ हो

कोई हो मंत्र तंत्र 

कोई तो मुझे उपाय बताएं

कैसे अपनी बांहों में भर लूं

अपनी ये प्यारी सी जिंदगी


नहीं देख सकती और तड़पते हुए

जिससे जरूरत हो 

वो ले जाए मेरी ये आंखो को रौशनी

क्या करूं इन नयन का 

जो अपने जीवन को

रेत की तरह फिसलता देख रही है


लब ख़ामोश है,इल्तज़ा मेरी है 

कोई तो दुआ में हाथ उठाओ

जिसकी दुआ कबूल हो

और मेरी भी उम्र लग जाए

मेरी ही आखरी सांसों तक

मेरी ही हो जाए जिंदगी।



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