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pooja bharadawaj

Abstract Drama Tragedy

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pooja bharadawaj

Abstract Drama Tragedy

मेरी एक विनती

मेरी एक विनती

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बदलते ज़माने की 

कुछ बात तुम भी जानों

कांपती ये धरती और

रोता आसमान जानों


रिश्तों की जो बलि चढ़ी

मात पिता अपमान जानों

बच्चे उनको समझाते हैं

लिव इन में रहना जानों


अपनी संस्कृति छोड़ दिया

विदेशी अपनाते जानों

मां बाप को खून के

आंसू तुम रुलाते जानों


श्रद्धा को जब समझाया था

गुस्से में वह बोली थी

मेरा है यह फैसला अब

मेरा तुम अधिकार जानों


दिन बीते महीने बीते,

बीते कुछ साल जानों

जिसके साथ रहने गई 

उसके मन का घात जानों


सोती श्रद्धा को उसने 

जब गला घोट के मारा था 

छोटे-छोटे टुकड़े कर

 फ्रिज में था समेटा जानों


आज सुनो एक विनती मेरी

मात पिता को अपना जानों 

गलत सलाह नहीं तुम्हें देंगे 

यह मेरा विश्वास जानों


तुम हो उनको जान से प्यारे

तुम का न ऐसे जाने देंगे

चाहते हैं तुमसे बस वह

थोड़ा सा ही प्यार जानों


बच्चे रहे सदा खुश उनके

उनका आशीर्वाद जानों 

बदलते ज़माने की 

कुछ बात तुम भी जानों।।


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