संघर्ष
संघर्ष
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राह कठिन है जीवन की पर,हार मान कर बैठना क्या।
करते रहना मनुज परिश्रम, संघर्षों में घुटने टेकना क्या।।
हाथ-पांव से जो बन पाये,काम-काज करके है कमाना।
चोरी ,लूट-पाट,काले कर्मों से ,धन औरों से ऐंठना क्या।।
होती सब आसान मुश्किलें, सतत कर्म रत रहते हैं जो।
भाग्य भरोसे बैठ गये तब , करके मदद धन फेंकना क्या।।
खिलते हैं तभी फूल बाग में,माली जब -जब सींचे पौध।
बिना निराए खरपतवारों पर,कर मलाल तब देखना क्या।।
हर रोज उजाला लाता सूरज, डूब-डूब "मीरा' पुनः उगता।
ठंड नहीं है, फिर जला अलाव, उस पर हाथ सेंकना क्या।।