STORYMIRROR

Meera Parihar

Comedy

4  

Meera Parihar

Comedy

चाय

चाय

1 min
258


भर दो चाय का कुल्हड़, मुझे कुछ कहना है।

है मेरी हमदम सखी साथ जिसके रहना है।।


रातें कितनी काटीं हमने जागे जिसके साथ में।

हाथ पर रख ग़म के दरिया में हमें अब बहना है।।


जाने कितनी उम्र से यह मुँह लगी रातों दिन।

है नहीं ये दिल्लगी दर्द ग़म घूँट- घूँट सहना है।।


बेसबब इस जिंदगी को दे दिए मायने मुझे।

रस भरूँ मैं तुलसी, अदरक रंग क्या कहना है।।


आँख खुलती शोर सुनती बन गई है चाय क्या?

महक से बहका उठाती, उठो! बीत गयी रैना है।


वक्त बदला यह बदली, ग्रीन के संग ये मुखर। 

मुक्त दूध शर्करा नव"हनी"बसन पहना है।।


बुद्धिजीवी की सखी ,नुक्कड़ों की चर्चा में ये।

लालू जी कुल्हड़ चलाए मिट्टी गंध में गहना है।।


मीरा है इसकी दीवानी, राम क्या ,घनश्याम क्या?

चाय, चाय, चाय, चाय, कुल्हड़ की चाय पीना है।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Comedy