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Meera Parihar

Abstract

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Meera Parihar

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तेरी यादों का दीया

तेरी यादों का दीया

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तसव्वुर में, तेरी यादों का, दीया जल रहा है।

ये सच है, कि रौशनी तले,अंधेरा पल रहा है।।


इधर आँखों में, नदिया और समुन्दर मचलते हैं। 

उधर दरिया का पानी, दिन ब दिन ढल रहा है।।


कभी शरबत पे रजा,कभी तस्लीम ए शीरी। 

कन्नौजी इत्र से शुरू, मय का सफर चल रहा है।।


आ मेरे पहलू में, कर लूं गुफ्तगू मिल कर अब। 

कहते हैं अपना वतन, करवट बदल रहा है।।


मैं करूं वफ़ा की बातें, और तुम भी मगर।

शोर जफ़ाओं का भी, मुसलसल चल रहा है।।


कितने आए औ गये, देकर पैगाम ए मुहब्बत।

'मीरा' वक्त है कैसा, जफ़ाओं से मिल रहा है।।


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