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Manish Mehta

Drama Tragedy Inspirational

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Manish Mehta

Drama Tragedy Inspirational

पिछला कमरा

पिछला कमरा

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पिछले कमरे में अब कोई नहीं रहता,

जहाँ नसीहतों की पोटली और दवाओं का डिब्बा एक साथ खुलते थे,

दवा और अनुभव की गंध हवा में एक साथ घुलते थे

उमंग थी, तरंग थी, गीत थे और सपने 

खुशी थी, नृत्य था, सभी की बात सभी थे अपने 

अजीब सहर्ष सुकून था उस कमरे में,

शिशु-स्वर सा एक जुनून था उस कमरे में

पर, पिछले कमरे में अब कोई नहीं रहता 

वहाँ उस कमरे में न दिन था न रात, 

न पढ़ाई की फिक्र थी न कक्षा की बात

उस कमरे में एक भी पुस्तक न थी 

पर ज़िंदगी पढ़ाता था वह पिछला कमरा

लौट-लौटकर बुलाता था वह पिछला कमरा

उस कमरे के एक कोने में मेरी बहुत पुरानी निजी पहचान 

बगल की दराज़ में मेरी लंबी उम्र और खुशी के वो आशीर्वाद 

अपना जान आज भी मुझे पकड़े खड़े हैं

रहते हैं साथ मेरे, मुझे जकड़े खड़े हैं

कच्चे घरों से पक्के मकान तक की कहानी उस कमरे में थी,

बचपन, बुढ़ापा और जवानी उस कमरे में थी

बहुत सी समझ और थोड़ी नादानी उस कमरे में थी,

वक्त की धूल सुहानी उस कमरे में थी

कुछ और भी था उस कमरे में,

दशकों का अनुभव, 

अनुभव की बातें,

बातों में यादें 

यादों में मैं, 

तुम, हम सब 

पर अफ़सोस, अफ़सोस

वो ज़िंदा ताले अब नहीं मिलते

जिन्होने परिवार पाले अब नहीं मिलते

नहीं मिलते वह बूढ़े खड़े शिखर,

न जाने हमने दिल छोटे किए या घर,

क्योंकि नए घरों में वह पिछले कमरे अब नहीं मिलते।


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