सच्चा साथी
सच्चा साथी
किसी भी तकरार में,
झगड़े में या ललकार में
जंग हमेशा सही
और गलत की नहीं होती।
चाहत नहीं होती
किसी निर्णय की,
वाद या विवाद की।
एक आशा होती है
प्रिय, बस तुमसे मेरी
साथ निभाने की
अपनेपन के एहसास की
और निस्वार्थ प्यार की
शब्दों का काम नहीं कोई
जब आँखों में हो छिपे उपाय।
प्यारा भरा स्पर्श तुम्हारा
घाव सारे भर जाये।
बिन कहे बाते सुन ले जो
मन सारा पढ़ ले वो
सच्चा साथी कह लाये।