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Shilpi Gupta

Abstract Drama

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Shilpi Gupta

Abstract Drama

जीवन-संघर्ष

जीवन-संघर्ष

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मत टकराओ इन लहरों से 

दिल में दबा लावा 

कब ज्वालामुखी बन फूट जायेगा 

पता भी नहीं चल पायेगा।

 

नाजुक डोर ख्वाबों से बनी 

कब टूट कर बिखर जायेगी 

पता भी नहीं चल पायेगा।


बाँध लगा दिल की भावनाओ पर 

कब टूट कर बहा ले जायेगा 

पता भी नहीं चल पायेगा।


मत खेलो इन पतंगों से 

छिपे शोले है ,हाथ जल जायेगे 

पता भी नहीं चल पायेगा।


कमजोरी न समझो इस ख़ामोशी को 

बन कर सैलाब कब डूबा देगी

पता भी नहीं चल पायेगा।


कुछ सोच कर लब खामोश हैं 

मत ललकारो, टूट कर रह जाओगे

पता भी नहीं चल पायेगा।



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