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Shilpi Gupta

Tragedy Fantasy

4.7  

Shilpi Gupta

Tragedy Fantasy

कल और आजकल

कल और आजकल

1 min
323


कल आजकल और कल 

में, बीता सारा जीवन

कल देखते थे आने वाले कल के सपने 

आज, बीते कल में डूबा है 

कितने सुनहरे पल थे 

सोचने में वक्त गुजरता है 

लगता जैसे आज में तो जीते ही नहीं 

आज तो बस अपने अंदाज़ में ही

निकल जाता है 

और कल के लिए एक याद बन जाता है 


अपने हाथ में जबकि हमारा

आज ही होता है 

लेकिन हम जीते कल में ही है 

फिर चाहे आने वाला हो या बीता हुआ 

कभी कभी लगता है

टाइम मशीन सच में होती 

तो बचपन के उन सुनहरे पलों को 

एक बार और जी आती 

बांहों में समेट लेती उन यादों को 

टाइम मशीन तो नहीं 

लेकिन एक बचपन मेरे साथ है 

मेरी बेटी मेरे पास है 


जी लेती हूँ अपना बचपन सारा 

देखकर उसकी मासूम आँखों में 

उसकी जिद्द में, अठखेलियों में 

एक एहसास से भर देती है 

बीते बचपन की गुदगुदी दे जाती है 

और मिलती भी है मुझे एक माँ के मर्म से 

यही है आज मेरा 

और उसके सपने, कल मेरा !!!



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