वो और मैं
वो और मैं
वो सर्दी की सुनहरी धूप सा
मैं साँझ की बढ़ती ठण्ड सी
वो इंद्रधनुषी रंगो सा
मैं बिन मौसम बरसात सी
वो उजाले का आगाज़ सा
मैं ढलती सुरमयी शाम सी
वो प्यार की गरमाहट सा
मैं प्यार को तलाशती सी
वो मीठा शहद सा
मैं इमली की खटायी सी
वो बड़े दिल वाला
मैं नन्ही परछाई सी
वो कोई गज़ब जादूगर सा
मैं गुम हुई मुग्धा सी
वो जीवन की नयी तरंग सा
मैं सुर मिलती ताल सी
वो गगन मे उड़ती पतंग सा
मैं बंधी हुई एक डोर सी
वो मेरे बिन बेरंग सा
मैं बिन उसके वीरान सी
"वो और मैं" विपरीत दिशाओ सा
पर देते जीवन को नयी पहचान सी!