चलो आग लगाते हैं
चलो आग लगाते हैं
अपने मस्तिष्क की कुरीतियों को,
आज जड़ से मिटाते हैं,
अपने को पुनः स्थापित कर,
नया स्वयं को बनाते हैं ||
चलो आग लगाते हैं
अपने भारत का आज फिर,
स्वर्णिम इतिहास लौटते हैं ,
विदेशी ताकतों को आज फिर,
एहसास दिलाते हैं,
हम क्या हैं, क्या कर सकते हैं,
आज उन्हें बतलाते हैं||
चलो आग लगाते हैं
बहुत हो चुका छुपा छुपी,
आज सामने आ जाते हैं,
एक नया समाज बनाने को,
आज मशाल जलाते हैं ||
चलो आग लगाते हैं
हम महलों में रहने वाले,
गरीबी को ठुकराते हैं,
आहिस्ता आहिस्ता तरक्की कर,
देश को नया स्वर्ग बनाते हैं ||
चलो आग लगाते हैं
रौंद कर कठिनाइयों के पत्थर,
समतल धरातल बनाते हैं,
कोई चल सके इन पर सरलता से,
ऐसी कोई सरल डगर बनाते हैं ||
चलो आग लगाते हैं
खोखले और रिक्त समाज को,
आज परिपूर्ण बनाते हैं,
अपने भारत की गौरवशाली गाथा,
नई पीढ़ी को सुनते हैं ||
चलो आग लगाते हैं
धर्मों मैं जो बंट गया है संसार,
उसे एकता का पाठ पढ़ाते हैं
,देव भूमि जो बंजर पड़ी है,
उस पर सोना उपजाते हैं ||
चलो आग लगाते हैं
