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Renu kumari

Abstract Drama Tragedy

4.5  

Renu kumari

Abstract Drama Tragedy

तेरे शहर में

तेरे शहर में

1 min
247


आई तेरे शहर तो तुझे छोड़ पूरी कायनात को पता चला था।

वो नीला हुआ आसमान काले बादलों से घिरा था।


आसमा से वो एक पानी की बूंद मेरे चेहरे पे आ गिरी थी।

वो हवाएं भी न जाने क्यों तूफ़ान बन उठी थी।


मुझे न मिलना था तुझसे न मिलने की चाहत थी।

फिर भी न जाने क्यों उन रास्तो पे अनकही यादों की सौगात थी।


उन यादों को सामने देख मेरी आँखें कुछ यूँ भर आई थी।

मानो बारिश की बूंदों के संग वो कायनात भी मेरे संग रोने आई थी।


अजीब सी कसमकस थी दिल में मेरे जो शायद ये अल्फ़ाज़ कह न पाए थे।

वो तेरे संग बीती मुलाकातो के पल अंजामे मेरी नज़रो के सामने जो आए थे।


पलकें झुका के उन अश्कों को मैंने उन नज़रो में रोका था।

एक बार फिर याद दिलाते खुद को वो प्यार नही समझौता था।


वो झूठी मुश्कान देख उस खुदा ने जब मेरा रास्ता रोका था।

वो हवाओं संग आई तेरी खुशबू को दिल ने महसूस कर जब खुद को टोका था।


एक बार फिर दुनिया ने मेरी मोहब्बत का अंजाम देखा था।

आई थी तेरे शहर तो एक बार फिर मेरे दुल ने मुझे रोका था।


याद दिलाते खुद को तेरा प्यार नहीं था धोखा था।


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