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Renu kumari

Abstract Romance

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Renu kumari

Abstract Romance

ख्याल उनका

ख्याल उनका

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ख्याल उसका अब अच्छा लगने लगा है।

मानो वो ज़ेहन में कुछ यूं उतरने लगा ह।

किस्मत पे इतना यकीन तो अब भी नहीं मुझे,

मानो सफर उस मुसाफ़िर संग खुद चलने लगा है। 

बातों से दिल भरता नहीं अब मेरा,

पर उसे खोने से क्यों दिल डरने लगा है।

सोचती हूं खुशियां मनाऊं या चुप हो जाऊं,

उस संग पूरा दिन बाटने का मन करने लगा है। 

बातें तो बहुत करता है वो,

आज कल मेरी बातों पे वो हारने लगा है।

न जाने क्या है उसके मन में,

पर एक अनकहा सा एहसास मुझे लगने लगा है।

बातों में उसकी में खो सी जाती हूं,

उससे मिलने के लिए अब मन कुछ यूं मचलने लगा है।

आगे क्या होगा कैसे होगा फिकर छोड़ दी है मैंने,

खाली वक्त में मेरे वो सपनों में चलने लगा है।

ना जानें कैसी होगी खुशबू उसकी,

मेरे मुस्कुराहट के वो वजह बनने लगा है।

सवाल करूं या उसके जवाब का इंतजार ,

जैसे शम्मा के नजदीक आया एक परिंदा जलने लगा है।


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