अप्रैल फूल
अप्रैल फूल
सुबह सुबह एक मित्र ने ,
मुझको अप्रैल फूल बनाया ,
उसे इतना मजा आया ,
जैसे कोई बहुत बड़ा गुल है खिलाया,
मैने भी बदला लेने की ठानी,
मन में मेरे भी आई बेईमानी,
बुला लिया उसके खाने पर ,
समोसा पकौड़े और बिरयानी,।
घर आकर वो बैठा रहा ,
भूल सब अपनी कहानी ,
देर तक बैठने पर जब
मिला ना उसको पानी ,।
मन मसोस कर उसने बोला ,
अजीब सा उसने मुंह खोला ,
भाई खिलाओगे तुम हमे ,
समोसे पकोड़े और बिरयानी।
हमने कहा बिरयानी में चावल नही,
पकौड़े मे बेसन नही,
समोसे में आलू नही ,
हम तुम्हे कुछ खिलाएंगे नहीं
अप्रैल फूल बनाया तुमने ,
हमने तुम्हे ही फूल बना दिया ।