तेल
तेल
सुबह सुबह,
मिला रामभाया ।
मुझे देखकर,
कुछ बुदबुदाया ।
मैंने पुछा,
" क्या रामभाया !
ऑल ईज वेल ।"
वो झल्लाया,
बोला,
"साला तुम्हारा,
यही है खेल ।
पेट में मरोड़ हो तो भी,
बोलते ,ऑल ईज वेल ?
यहां ,
हमारा निकल रहा तेल ।"
फिर थोड़ा शांत हुआ,
और बोला,
" अब बताओ,
महंगा क्यों होता है तेल ?"
मैं बोला,
" रामभाया,
सब तरफ हैं ,
तेल का खेल ।
तो कैसे ना होगा,
महंगा तेल ? "
वह बोला कैसे !!
मैं बोला,
" चमचमाती सब्ज
ी खाना ?
लगता है तेल ।
बीबी को हो मनाना ?
तो लगावो तेल ।
घर से बाहर निकलो ?
गाड़ी में डालो तेल ।
प्रमोशन हो पाना?
चपरासी से साहब तक,
सबको लगावों तेल ।
नगसेवक से विधायक,
विधायक से मंत्री होना?
लगावों तेल ।
चूल्हे से लेकर,
संसद तक ।
देश से,
विदेश तक ।
सब तरफ लगता है तेल ।
तो क्यों ना होगा?
महंगा तेल ।
रामभाया समझो !
सब है यहां,
तेल का खेल ।"
बोलो रामभाया,
मेरे साथ,
ऑल इज वेल..
ऑल इज वेल...