तुम ही होगे
तुम ही होगे
मेरी कहानी किस्से में,
तुम ही होगे,
मेरी कलम हो न हो,
मेरी बातों में,
तुम ही होगे।
मेरी शाम के हर मौसम में,
तुम ही होगे,
बसंत आये न आये,
मेरे एहसासों के पतझड़ में,
तुम ही होगे।
मेरी आदतों में शामिल,
तुम ही होगे।
ये शहर छूटे न छूटे,
हवाओं की रुख में
तुम ही होगे।
मेरे अस्तित्व के दर्पण में
तुम ही होगे,
मंजिल मिले न मिले,
मेरे दस्तावेजों के सफर में,
तुम ही होगे।
मेरी आँखों की उम्मीदों में,
तुम ही होगे,
सांसें चले न चले,
मेरे अंतिम दर्शन में,
तुम ही होगे।

