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Anshita Dubey

Romance Tragedy

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Anshita Dubey

Romance Tragedy

तुम ही होगे

तुम ही होगे

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मेरी कहानी किस्से में,

तुम ही होगे,

मेरी कलम हो न हो,

मेरी बातों में,

तुम ही होगे।


मेरी शाम के हर मौसम में,

तुम ही होगे,

बसंत आये न आये,

मेरे एहसासों के पतझड़ में,

तुम ही होगे।


मेरी आदतों में शामिल,

तुम ही होगे।

ये शहर छूटे न छूटे,

हवाओं की रुख में

तुम ही होगे।


मेरे अस्तित्व के दर्पण में

तुम ही होगे,

मंजिल मिले न मिले,

मेरे दस्तावेजों के सफर में,

तुम ही होगे।


मेरी आँखों की उम्मीदों में,

तुम ही होगे,

सांसें चले न चले,

मेरे अंतिम दर्शन में,

तुम ही होगे।


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