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Anshita Dubey

Others

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Anshita Dubey

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बेटी होना अपराध है क्या?

बेटी होना अपराध है क्या?

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हर बार हमें इस समाज में, 

क्यों नग्न किया जाता है,

बात आती है जब सम्मान की,

तो बेपनाह जलील किया जाता है।


बेटी के जन्म पे मातम छा जाता है,

कुछ चेहरे पे आंसू तक आ जाता है,

सोच लेते हैं बोझ बढ़ा अब,

खर्चा विदाई में बहुत होगा तब।


कोख में ही हमको मार दिया जाता है,

जीवन से ही त्याग दिया जाता है,

लड़का हो तो बाहर आने देना,

वरना तो कोख में ही मार देना।


दहेज के लिए प्रताड़ित किया जाता है,

चरित्र पर लांछन लगाया जाता है,

मागें न पूरी करे अगर सबकी,

तो तिल तिल सताया जाता है।


आबरू का खेल खेला जाता है,

जिस्म को सस्ते में बेचा जाता है,

अंग नोच कर पीड़ा दिया जाता है।

बलात्कार कर,फिर जलाया जाता है।


अदालत में भी नंगा किया जाता है,

सुरक्षा न देकर जलील किया जाता है,

रक्षक ही भक्षक बन जाते है,

सत्ता भी चुप्पी साध लेती है।


बेटियाँ होती पराई फिर भी,

बिन हमारे कहाँ रह पातें हैं?

ये पुरुष हमीं पर ताकत आजमाते हैं,

वरना डूब कहीं मर जाते है।


हम सबके बिन बताओ कौन??

आज संसार मे आया है,

जब बेटियां ही ना रहेंगी जग मे,

फिर कौन माँ जननी बन आया है??


फिर बताओ तुम्हीं हम कहाँ जाये??

बेटियाँ है कहाँ छुप जाये?

थोड़े सुकुन के पल जीना चाहते है,

सुरक्षा का भाव महसूस करना चाहते है।


बनकर माँ बाऊजी का प्यार,

जी भरकर हँसना चाहते है।

कोख से जन्म तक के सफर को,

जीवन में तय करना चाहते हैं।


हर बार ग्रहण लग जाता खुशियों पे,

आँखो में बस आँसू रह जाता है,

जिन्दगी का हर पल भयभीत कहता है

 कैसा होगा हमारा आने वाला कल?


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