अरे यार! ये औरत होना कितना मुश्किल है?
अरे यार! ये औरत होना कितना मुश्किल है?
एक ठहराव के लिए,
बिखरना पड़ता है।
बह चले अगर,
तो डूबना पड़ता है।
अरे यार! ये औरत होना कितना मुश्किल है ?
ज़िन्दगी तो कदम से कदम मिलाकर चलती नहीं,
समाज में स्त्री को देह मानने वालों की कमी नहीं।
कहीं झुक भी जाएं अगर, तो चुन्नी सरके नहीं,
बस इसी कश्मकश में निगाहें उसकी उठती नहीं।
अरे यार ! ये औरत होना कितना मुश्किल है ?
कुछ कह दे अगर तो कहलाती वो उद्दंड है,
कुछ न कहे तो, सब कहे, वो कुछ जानती ही नहीं।
शर्म करे तो छेड़ने पर सब आतुर हो जाते हैं,
युद्ध चुने तो उसी शर्म को
गहना बना देते हैं।
अरे यार ! ये औरत होना कितना मुश्किल है ?
कभी बेपरवाह होकर ज़िन्दगी को अपने नज़रिए से देखें,
तो कह देंगे इसको किसी की परवाह नहीं।
कभी परवाह करने लगे तो कह देंगे,
पीछा ये छोड़ती क्यों नहीं।
अरे यार ! ये औरत होना कितना मुश्किल है ?
वो सबका ख्याल रखे,
मगर उसका ख्याल रखनेवाला कोई नहीं।
कभी मदद माँगे तो आगे आने वाला कोई नहीं,
खुद की मदद करने के लिए आगे बढ़े,
तो अडंगा डालने के लिए वो भी आ जाएंगे,
जो उसे जानते नहीं।
अरे यार ! ये औरत होना कितना मुश्किल है ?