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Anu Chatterjee

Abstract Inspirational Others

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Anu Chatterjee

Abstract Inspirational Others

अंदर की पुकार

अंदर की पुकार

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इक मुर्ख करे, इक ही मूर्खता,

और बहाने दे हजार.

काउ बिछड़न मनोरंजक लागे 

रूप नाम के पार. 


पीर-पीर चीत्कार करे 

मगर देखे ना सब समान. 

जब समय मिलन का आए 

तब सोए आर-पार.


अहो! कहो! ये कैसी थी पुकार 

जो पहुंचकर जगा न पाए. 

ज्ञानी-ध्यानी कह गए, 

कछु नहीं यहाँ, कछु नहीं वहाँ 

सब है भीतरी बात!


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