पिंजड़ा
पिंजड़ा
जिसे मुक्तक की खोज हो,
उसे पिंजड़ा नहीं, आसमान चाहिए,
उड़ने के लिए, खुद को सहेजने के लिए,
कुछ नीले नीर में पंख फहराने की जगह चाहिए.
है क्या उस सोने के पिंजड़े में,
बस समय का कारोबार,
कभी रोटी, कभी पानी मिलने का लालच,
मगर मुक्ति जहाँ रुष्ट हो,
वहाँ जीवन कैसा होगा?
बंधन आसक्ति का परिचय है
और स्वाधीन रहना प्रेम का.
आसक्ति समय समय का व्यभिचार है
और प्रेम मुक्तक आगाज़ है.
चुनना तुम्हें है पथिक,
ये जीवन प्रेम के लिए संघर्ष
या फिर आसक्ति के लिए बंधन चुनने का ही नाम है.
