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Anu Chatterjee

Abstract Tragedy Others

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Anu Chatterjee

Abstract Tragedy Others

सत्ता और ताक़त का फरेब

सत्ता और ताक़त का फरेब

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कोई देश बने बंधू , कोई बने दुश्मन अनाड़ी

कहीं मिले हाथ तो कहीं हुई बमबारी। 

पिसा कौन सत्ता के आड़ में ?

सारी आम जानता पर सत्ता पड़ गई भारी। 


राम बचाए अब जन-संकट से

क्योंकि मनुष्यों पर मनुष्य ही पड़ रहा है भारी। 

क्या सोचते हैं: ताक़त कितनी नाकामयाब है ?


जो ताक़त के पीछे भागते हैं

वो कितने नाकामयाब हैं ?

इतनी नाकामयाब ज़िन्दगी को

लोग अधिकार समझ लेते हैं। 


सत्ता का एक ही नियम है :

न नैतिक कोई समस्या

न अनैतिक कोई कृत्य

बस भजो ताक़त को

और करो सब मान्य-अमान्य सटीक। 




 


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