STORYMIRROR

Antariksha Saha

Drama Tragedy

3  

Antariksha Saha

Drama Tragedy

मज़दूर हूँ मजबूर नहीं

मज़दूर हूँ मजबूर नहीं

1 min
11.9K

तेरे जैसे वीडियो के सामने मदद लेने से

इनकार करता हूँ

लाखों दूर घर की और सफर करता हूँ

बिना किसी मदद के पैदल

किसी के आगे हाथ नहीं फैलाया कभी

कारखाने बंद बाजार बंद

भूख है की कोई लॉकडाउन नहीं मानती

पुलिस के डंडे खाकर भी हम कोई काम की

आशा में निकलते है

भीख नहीं मांगते भीख नहीं मांगते

तुम्हें टिक टॉक और फेसबुक से फुरसत हो

तो कभी हमारे लिए सोचना

बस स्वाभिमान से भरे किसी काम से

हो सके तो जोड़ना

इस महामारी में मेरे बच्चे भूखे है

मेरे राशन को चोरी करने से पहले सोचना

वोट जो मांगते हो उसी की दुहाई देता हूँ

अपने राज धर्म के बारे मे भी तुम थोड़ा देखना

आपसी रंजिशें भुलाकर साथ तुम चलना

यह देश रहे तो हिन्दू मुसलमान का खेल

बाद में खेलना

बात तब्लीक़ की हो या किसी और की

माहवारी में धर्म को मत जोड़ना


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama