गुड़ की ढेली
गुड़ की ढेली
गुड़ की ढेली देख मन
गुल से गुलजार हो गया,
सर्दियों में देखो तिल, गुड़ और
मूंगफली का बाजार सज गया,
कुछ खट्टी और तीखी सी
थी ज़िन्दगी अब तक,
गुड़ की मिठास से मन का
जैसे हर तार बज गया,
सर्द सुबह में कुछ गर्मी देती
मीठी सी हो गई चाय भी
गुड़ की मिठास से,
प्यार और स्नेह से रिश्तों को भी
बांधती इसकी मिठास,
आ जाओ सब पास अब
त्योहारों के इस मौसम में,
बना लो हर दिन को खास,
क्योंकि हर तरफ बस मीठी
खुश्बू है और गुड़ की मिठास।