माँ की रसोई
माँ की रसोई
ममता प्यार दुलार भरपूर था जहाँ ,
वो थी मेरे ,
माँ की रसोई ,
खुशबू का अनूठा सम्मिश्रण ,
अद्भुत कलाकारी जिसमें ,
वो थी मेरे ,
माँ की रसोई ,
चावल और सादी दाल में ,
हींग और मीठी नीम का तड़का ,
महकता था गलियारा जिससे ,
वो थी मेरे माँ की रसोई ,
ताजे पिसे मसाले
से सब्जियों का दोगुना बढ़ता स्वाद,
शुद्ध घी में डूबी हुई करारी बाटियाँ ,
स्वाद का खजाना ,
वो थी मेरी माँ की रसोई ,
घर के हर प्राणी के साथ ,
मूक पशु पक्षियों का भी जहाँ ,
निकलता खाने का हिस्सा ,
वो थी बस मेरे माँ की रसोई ,
मन प्राण बसी जैसे उनकी ममता मुझमें ,
वैसे ही हरदम आज भी महकती ,
मेरे माँ की रसोई ।।