डर के आगे जीत है
डर के आगे जीत है
हाथ मिलाने की परंपरा किससे सीखी हमने ,
ये तो हमारी ना थी ,
नमस्ते कर हम सबको अपनी संस्कृति का पाठ पढ़ाते थे ,
सबसे यूँ ही अपना मेल जोल बढ़ाते थे ,
विदेशी संस्कृति से जो हममें बदलाव आया है ,
खुद हमने अपना नुकसान करवाया है
आज देश पर कोरोना का भारी संकट गहराया है ,
लोगों की जान दांव पर रखकर हमने उसका मूल्य चुकाया है ,
हमारे अपने योग नियम संस्कार जो थे हमारी धरोहर,
उसे तो हमने मानो भुला दिया ,
और उसे भुला हमारे हाथ ही क्या आया है ,
अब इक्कीस दिन घर में कैद रहकर ,
इंसान खुद को जान ले और ज़िन्दगी की कीमत जरा पहचान ले ,
खुद की खुद से बेहतर पहचान हो जायेगी ,
और ज़िन्दगी बहुत आसान हो जाएगी ,
प्रकृति के नजदीक अब समय है जाने का ,
मोहलत जो मिली है अब न समय गंवाने का ,
इस संकट में अपनों से दूर रहकर भी ,
पाने को हरदम उनका साथ ,
करते रहें बस दुआ हम ,
हजारों हाथ उठेंगे दुआओं में जब ,
देगा वो ईश्वर भी हमारा जरूर साथ ,
और आखिर में ,डर के आगे जीत है ,
निश्चित ही अब हमारी जीत है ।।