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भाऊराव महंत

Drama

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भाऊराव महंत

Drama

अपना भारत देश है

अपना भारत देश है

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हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई, सबका इक परिवेश है

सबसे प्यारा सबसे न्यारा, अपना भारत देश है। 


स्वर्ण-सुनहरी धरा हमारी, अपना है आकाश भी 

सबसे पहले आकर सूरज, देता नवल प्रकाश भी

जिस भारत का संरक्षक भी, स्वयं परम अखिलेश है

सबसे प्यारा सबसे न्यारा, अपना भारत देश है।


बच्चे सारे मिलजुल करके, करते विद्यालय गमन

मात-पिता को शीश झुकाते, करते गुरुजन को नमन 

संस्कारों से पूरित बच्चा, करता जहाँ प्रवेश है 

सबसे प्यारा सबसे न्यारा, अपना भारत देश है।


जहाँ लड़ाकू योद्धा जन्मे, बनकर के ज्वालामुखी 

जंगल-जंगल भटके लेकिन, हार नहीं मानी कभी 

ऐसे वीरों के किस्सों से, पृथ्वी यह लवलेश है

>सबसे प्यारा सबसे न्यारा, अपना भारत देश है।


धनवानों की बस्ती में भी, मिलजुल कर रहते कृपण 

प्रेम भाव से भरे अनोखे, चले जहाँ जीवन-मरण 

संत-महात्मा की वाणी में, मोक्ष मिले निर्देश है

सबसे प्यारा सबसे न्यारा, अपना भारत देश है।


दुष्टों का मर्दन करती माँ, बैठे अपने शेर पर 

वैसे ही लड़ते हैं सैनिक,बारूदों के ढेर पर 

बलिदानों से मिलती खुशियाँ, मिटता सबका क्लेश है

सबसे प्यारा सबसे न्यारा, अपना भारत देश है।


कौन अविकसित कहता मित्रों, अपने भारत देश को 

रत्न-कौमुदी से पूरित इस, उन्नतशील स्वदेश को 

आन तिरंगे की रखना तुम, बस इतना संदेश है

सबसे प्यारा सबसे न्यारा, अपना भारत देश है।


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