विश्व फ़लक पर भारत
विश्व फ़लक पर भारत
विश्व फ़लक पर छाने को भारत है तैयार,
वसुधैव कुटुम्बकम को करने को साकार।
प्राचीन संस्कृति को फहराने को परचम,
भविष्य में भारत की होगी जय जयकार।
सत्य अहिंसा जीवन दर्शन का है आधार,
मानवता का हम सदैव करते हैं व्यवहार।
धर्म निरपेक्षता एकता के हम है अनुगामी,
ज्ञान विज्ञान का हमनें सदा किया विस्तार।
प्रगति उन्नति जीवन के ख़ुशियों का आधार,
ईर्ष्या कपट का सदैव हम करते तिरस्कार।
सहयोग व सदभावना बना हमारा सिद्धान्त,
जिस पर चल कर करते हैं जीवन साकार।
फ़रेब से आगे बढ़ने से हम करते हैं इनकार,
असत्य का सदैव भारत ने किया प्रतिकार।
साथ चले और साथ बढ़े की है नीति हमारी,
जो दुश्मन आँख दिखाए, हम करें ललकार।
जो साथ हमारा देता उसको करते हैं सत्कार,
उसके साथ खड़े होते हैं करते उसको प्यार।
विश्व बंधुत्व की भावना रखते हैं भारतवासी,
कोई हमें फ़रमान दें, हम लगाते हैं फटकार।
हमारी ख़ूब प्रगति हो, ख़ुशियाँ हो गुलज़ार,
सच के हम अनुनायी हैं, नफ़रत न किरदार।
हमारे देश का जगत में ख़ूब परचम लहराएं,
हम मेहनतकश हैं, जिसका मिलता पुरस्कार।