STORYMIRROR

Neerja Sharma

Drama

4  

Neerja Sharma

Drama

बचपन

बचपन

1 min
389

सुख के दिन बीते रे भैया,

अब तो आती रुलाई 

बचपन-जवानी कट गए,

बुढ़ापा कैसे कटेगा भाई।


शहनशाह थे बचपन में हम 

जवानी में किया ढेरों काम,

बुढ़ापा आता देख कहते सब 

'बच्चे बनते जा रहे हो अब'। 


पर न माँ सी ममता,

न पिता सा प्यार

काहे का बचपन 

जब शहँशाही न रही यार।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama